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राष्ट्रध्वज की कहानी

(अमृत महोत्सव 2022)

शोध एवं आलेख

डॉ रवि अतरौलिया

रिटायर्ड डीएसपी

सौजन्य

प्यारे भारतवासियों,

मैं आपका अपना राष्ट्रध्वज बोल रहा हूं। मेरे बारे में आपके संपूर्ण जानकारी नहीं दी गई, क्यों नहीं दी गई? कौन जिम्मेदार है? यह प्रश्न आज औचित्यहीन है, अतः अब मैं स्वयं आपके सामने आया हूं, अपने बारे में आप सभी को बताने के लिए। गुलामी की काली स्याह रात के अंतिम प्रहार जब स्वतंत्रता के सूर्य के निकलने का संकेत प्रभात बेला ने दिया, उस दिन 22 जुलाई 1947 को भारत की संविधान सभा कक्ष में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुझे विश्व एवं भारत के नागरिकों के सामने प्रस्तुत किया यह मेरा जन्म पल था। मुझे भारत का राष्ट्रध्वज स्वीकार कर सम्मान दिया। इस अवसर पर पंडित नेहरू ने बड़ा मार्मिक हृदयस्पर्शी भाषण भी दिया तथा माननीय सदस्यों के समक्ष मेरे दो स्वरूप, एक रेशमी खादी व दूसरा सूती खादी से बना ध्वज प्रस्तुत किया। सभी ने करतल ध्वनि के साथ मुझे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रध्वज के रूप में स्वीकार किया। आजादी के दीवानों के बलिदान व त्याग की लालिमा मेरी रगों में बसी है, इन्हीं दीवानों के कारण मेरा जन्म संभव हुआ। 14 अगस्त 1947 की रात 10:45 पर काउंसिल हाउस के सेंट्रल हॉल में श्रीमती सुचेता कृपलानी के नेतृत्व में वंदे मातरम के गायन से कार्यक्रम शुरू हुआ। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू के भाषण हुए, इसके बाद श्रीमती हंसाबेन मेहता द्वारा अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को मेरा सिल्क वाला स्वरूप सोपा गया और श्रीमती हंसाबेन मेहता ने कहा कि,”आजाद भारत में पहला राष्ट्रध्वज जो इस सदन में फहराया जाएगा वह भारतीय नारी शक्ति की ओर से इस राष्ट्र को एक उपहार है।सभी लोगों के समक्ष मेरा यह पहला प्रदर्शन था। सारे जहां से अच्छा व जनगणमन के सामूहिक गान के साथ यह समारोह संपन्न हुआ।

23 जून 1947 को मुझे जाकर देने के लिए एक अस्थाई समिति का गठन हुआ था, जिसके अध्यक्ष थे डॉ. राजेंद्र प्रसाद तथा समिति में उनके साथ थे अब्दुल कलाम आजाद, के. एम. पाणीकर, श्रीमती सरोजिनी नायडू, के. एम. मुंशी, श्री राजगोपालाचारी और डॉ. बी. आर. अंबेडकर। विस्तृत विचार विमर्श के बाद मेरे बारे में निर्णय लिया गया और संविधान सभा में स्वीकृति प्राप्त हेतु पंडित जवाहरलाल नेहरू को अधिकृत किया, जिन्होंने 22 जुलाई 1947 को सभी की स्वीकृति प्राप्त की और मेरा जन्म हुआ।

पंडित नेहरू ने मेरे मानक बताएं जिन्हें आपको जानना जरूरी है। (जिसका उल्लेख भारतीय मानक संस्थान के क्रमांक आईएसआई 1-1951 संशोधन 1968 में किया गया) उन्होंने कहा भारत का राष्ट्रध्वज समतल तिरंगा होगा, यह आयताकार होकर इसकी लंबाई चौड़ाई का अनुपात 2:3 होगा, तीन सामान रंग की आड़ी पट्टीका होगी। सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टी होगी। सफेद रंग की पट्टी पर मध्य में सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ का 24 शलाकाओं वाला चक्र होगा, जिसका व्यास सफेद रंग की पट्टी की चौड़ाई के बराबर होगा तथा ध्वज के दोनों तरफ अंकित होगा। मेरे(राष्ट्रध्वज) निर्माण में जो वस्त्र उपयोग में लाया जाएगा, वह खादी का होगा अथवा सूती, ऊनी या रेशमी भी हो सकता है लेकिन शर्त यह होगी कि राष्ट्रध्वज का सूत हाथ से काता जाएगा एवं हाथ से कपड़ा बुना जाएगा। इसमें हाथकरघा सम्मिलित है। सिलाई के लिए केवल खादी के धागों का ही प्रयोग होगा।आपको बताऊं मेरे कपड़े का निर्माण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के एक समूह द्वारा पूरे देश में एकमात्र उत्तरी कर्नाटक जिला धरवाड़ के गरग नामक गांव जो बेंगलुरुपुणे रोड पर स्थित है, किया जाता है। इसकी स्थापना 1954 में हुई। नियमानुसार राष्ट्रध्वज के खादी के एक वर्ग फीट कपड़े का वजन 205 ग्राम होना चाहिए। हाथ से बनी खादी जिसका प्रयोग राष्ट्रध्वज एनिर्माण के लिए होता है वह यही केंद्र है परंतु अब राष्ट्रध्वजों का निर्माण क्रमशः ऑर्डिनेंस क्लॉथिंग फैक्ट्री शाहजहांपुर, खादी ग्रामोद्योग आयोग मुंबई एवं खादी ग्रामोद्योग दिल्ली में होने लगा है तथा निजी निर्माताओं द्वारा भी राष्ट्रध्वज निर्माण पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन राष्ठ्रध्वज के गौरव व गरिमा को द्रष्टिगत रखते हुए जरूरी है कि केवल आईएसआई (भारतीय मानक ब्यूरो) की मोहर लगी हो। मेरे(राष्ट्रध्वज) के रंगों का अर्थ स्पष्ट किया कि केसरिया रंग साहस और बलिदान का, सफेद रंग सत्य और शांति का तथा हरा रंग श्रद्धा व शौर्य का प्रतीक होगा तथा 24 सलाकों वाला नीला चक्र 24 घंटे सतत प्रगति तथा प्रगति भी अंतहीन हो, जैसा कि नीला अनंत विशाल आकाश एवं नीला अथाह गहरा सागर।

आपको लगता है कि आप भी अपने घरों व दुकानों पर राष्ट्रध्वज वर्ष भर फहरायें लेकिन जब तक मेरे मान सम्मान सहित फहराने का ज्ञान प्रत्येक नागरिक को ना हो जाए तब तक आपको यह छूट कैसे दी जा सकती है। लेकिन अब आपको वैधानिक रूप से 365 दिन यानी वर्ष भर ससम्मान ध्वजारोहण का अधिकार जनवरी 2002 से प्राप्त हो गया है। साल भर ना सही, आप निम्न तारीखों पर मेरा ध्वजारोहण सूर्योदय के समय तेजी से उल्लास के साथ करके व सूर्यास्त के समय धीरे आ ससम्मान उतार के कर सकते हैं, लेकिन मोटर कारों पर साधारण नागरिक को राष्ट्रध्वज लगाने पर प्रतिबंध है।

भारतीय ध्वज संहिता (फ्लेग कोड आफ इंडिया 2022 के अनुसार राष्ट्रध्वज मानक राष्ट्रध्वज प्रकार के हैं 

1. इसमें सबसे छोटा बाय इंच का हैजो मीटिंग व कॉन्फ्रेंस आदि में टेबल फ्लैग के रूप में इस्तेमाल होता है

2. वीआईपी की कारों में बाय इंच के ध्वज जो दोहरी परत के होते हैं लगाये जाते हैं।

3. राष्ट्रपति के,वीआईपी एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए 18 बाय 12 इंच के दोहरी परत वाले ध्वज होते हैं।

4. कमरों में क्रास बार के रूप में या अपने मकान/संस्थान पर लगाने वाले झंडे बाय फुट के होते हैं।

5. बहुत छोटी पब्लिक बिल्डिंग पर लगने वाले झंडे साडे 5.5 बाय फुट के होते हैं।

6. शहीद सैनिकों के शवों,विशिष्ट व्यक्तियों के ,शवों और छोटे सरकारी भवनों के लिए बाय फुट के ध्वज अधिकृत है।

7.संसद भवन और मीडियम साइज के सरकारी भवनों पर बाय फुट की ध्वजा लगते हैं।

8. गन कैरिएजलाल किलाराष्ट्रपति भवन के लिए 12 बाय फुट का ध्वज अधिकृत है।

9. सबसे बड़ा तिरंगा 21 बाय 14 फुट का होता है जो बहुत बड़ी बिल्डिंग पर लगाया जाता है। आपको बताऊं 26 जनवरी 2010 तक इस साइज का ध्वज कहीं भी फहराया नहीं गया था कारण तब इतने बड़े ध्वज दंड नहीं होते थे।

(English Version)

 

राष्ट्रीय पर्व की तिथियां

1. 26 जनवरी से 29 जनवरी तक(बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम होने तक)

2. 6 अप्रैल से 13 अप्रैल तक(राष्ट्रीय सप्ताह में जो जलियाँवाला बाग.के शहीदों की स्मृति में मनाया जाता है।)

3. 15 अगस्त(स्वतंत्रता दिवस)

4. 2 अक्टूबर (महात्मा गांधी जयंती)

5. भारत सरकार द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय उल्लास का अन्य कोई दिन

. किसी भी राज्य में उस राज्य की गठन की जयंती पर (जैसे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवंबर को हुआ)

.भारत सरकार किसी भी क्षेत्र में स्थानीय समारोह के उपलक्ष में किसी विशिष्ट दिन राष्ट्रीय ध्वज प्रतिप्रबंध रहित रूप से फहराने का अधिकार प्रदान करती है।

जब कोई राष्ट्र विभूति महान व्यक्ति, राष्ट्राध्यक्ष आदि का निधन होता है तब उन्हें सम्मान देने के लिए शोक घोषित किया जाता है और इस दौरान मुझे (राष्ट्रध्वज को) शोक स्वरूप झुका दिया जाता है। झुका देने का आशय झुका देना नहीं अपितु ध्वज दंड के मध्य फहराने की स्थिति को झुकाना माना जाता है। यदि राष्ट्रध्वज ले जाते हुए परेड या जुलूस के रूप में शोक मनाया जाता हो तो भाले के अग्र भाग में काले कपड़े(क्रेप) की दो पट्टियां लगा दी जाएगी जो स्वाभाविक रूप से लटकी रहेगीं। ऐसा प्रयोग शासनादेश पर ही होगा।

विशेषभारतीय संहिता में जो 9 साइज के मानक ध्वज हैं, उन्हें छोड़कर उनसे बड़े और बहुत बड़े ध्वज भी सशर्त फहराये जा सकते हैं। सूर्यास्त के समय ध्वज पर पर्याप्त रोशनी होना चाहिए।

विशेष परिस्थिति

राष्ट्रीय उत्साह के पर्वों पर अर्थात 15 अगस्त 26 जनवरी के अवसर पर किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है तथा राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाकर मुझे(राष्ट्रध्वज) झुका दिया जाना चाहिए लेकिन मेरे भारतवासियों इन दिनों में सभी जगह कार्यक्रम एवं ध्वजारोहण सामान्य रूप से होगा लेकिन यहां जिस भवन में उसे राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर रखा है, वहां उस भवन का ध्वज झुका रहेगा तथा जैसे ही पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकालते हैं वैसे ही मुझे (राष्ट्रध्वज) पूरी ऊंचाई से फहरा दिया जाएगा।

शवों पर लपेटना

राष्ट्र पर प्राण न्यौछावर करने वाले फौजी रणबांकुरों के शवों पर एवं राष्ट्र की महान विभूतियों के शवों पर भी मुझे उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए लपेटा जाता है, तब मेरी केसरिया रंग की पट्टी सिर तरफ एवं सफेद रंग की पट्टी चक्र सहित पेट पर और हरे रंग की पट्टी जंघाओं तरफ होनी चाहिए ना कि सर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरे रंग पट्टी दाएं बाएं हो। याद रहे शाहीद या विशिष्ट व्यक्ति के शव के साथ मुझे जलाया या दफनाया नहीं जाए बल्कि मुखाग्नि क्रिया से पूर्व या कब्र में शरीर रखने से पूर्व मुझे हटा लिया जाए।

नष्टीकरण

अमानक, बदरंग, कटी फटी स्थिति वाला मेरा स्वरूप फहराने योग्य नहीं होता। ऐसे ध्वज फहराना मेरा अपमान होकर अपराध है, अतः वक्त की मार से जब कभी मेरी स्थिति ऐसी हो जाए तो मुझे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ अग्नि प्रवेश करा दें या वजन या रेत बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दें। इसी प्रकार पार्थिव शरीर पर से उतारे गए ध्वजों को भी साथ करें। वर्तमान में एक नई व्यवस्था जुड़ गई है कि शाहीद या विशिष्ट व्यक्ति के परिजनों को वह राष्ट्रध्वज जो उढ़ाया गया था, उन्हें स्मृति चिन्ह के स्वरूप प्रदान कर दिया जाए।

मेरा अपमान

मुझे पानी की सतह पर स्पर्श कराना, भूमि पर गिरना, फाड़ना, जलाना, मुझ पर लिखना तथा मेरा व्यावसायिक उद्देश्य से उपभोक्ता वस्तु पर प्रयोग अपराध होता है। मुझे किसी के सामने झुकना भी मेरा अपमान कहलाएगा।

शोक का प्रभाव क्षेत्र

. राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के लिए क्षेत्र संपूर्ण भारत में रहेगा।

. लोकसभा अध्यक्ष एवं भारत के मुख्य न्यायाधिपति के लिए क्षेत्र दिल्ली रहेगा।

. केंद्रीय मंत्रिमंडल स्तर के मंत्री के लिए क्षेत्र केवल दिल्ली व राज्य की राजधानियों में रहेगा।

. केंद्रीय राज्य मंत्री और उपमंत्री के लिए क्षेत्र केवल दिल्ली व राज्य की राजधानियों में रहेगा।

. राज्यपाल, उपराज्यपाल, राज्य के मुख्यमंत्री, संघ शासित क्षेत्र के मुख्यमंत्री के लिए क्षेत्र दिल्ली में,संबंधित संपूर्ण राज्य व संघ शासित क्षेत्र में रहेगा।

. किसी राज्य में मंत्रीमंडल स्तर के मंत्री के लिये क्षेत्र संबंधित राज्य की राजधानी में रहेगा।

नोट:- दिल्ली से तात्पर्य दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका और छावनी बोर्ड के आधीन आने वाले समस्त क्षेत्र से है।