तिरंगा अभियान की मुख्य उपलब्धियां

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  1. राष्ट्रध्वज तिरंगे के 1906 कोलकाता ध्वज और मैडम के 1907 के ध्वज के बारे में जो साहित्य उपलब्ध हुआ उसके अनुसार 1906 व 1907 के झंडे में जो रंगों का क्रम था वह हरा पीला और लाल था। हरे रंग पर कोलकाता ध्वज में 8 अधखिले कमल के फूल थे और मैडम कामा के ध्वज में 8 खिले हुए कमल के फूल थे। इसी तरह पीले रंग की पट्टी पर कलकत्ता ध्वज में वंदेमातरम् नीले रंग से लिखा था और मैडम कामा के ध्वज में पीले रंग पर सफेद रंग से वंदेमातरं अंकित था।

इस तरह से यह मुझे साहित्य मिला मगर भारतीय सूचना प्रकाशन विभाग का जो एक पोस्टर मिला उसमें जो 1906 और 1907 के झंडों का जो चित्र था उसमें कलर ऑर्डर बिल्कुल उल्टा यानि लाल पीला और हरा और लाल रंग की सबसे उपर पट्टी पर कुछ बटन जैसे चित्र बना दिए गए थे और पीले रंग की पट्टी पर दोनों ध्वजों में नीले रंग से वंदेमातरम् अंकित था जिसने मुझे भ्रम की स्थिति में डाल दिया कि मैं सच किसे मानूं तब खोजबीन करने पर साहित्य पढ़ने पर पता चला कि मैडम भीखा जी का ओरिजनल ध्वज जिसको लेकर वे जर्मनी में पूरे देश में घूमी वह ओरिजनल फ्लैग गुजरात के समाज सेवी याग्निक भाई जो थे वह ले आए थे और वह ऐतिहासिक ध्वज पुणे के तिलकवाड़ा में सुरक्षित है।

मैं वहां जब गया देखा तो चांदी के फ्रेम में मैडम भीखाजी कामा का ओरिजिनल फ्लैग था। वहां पर मैडम भीखाजी कामा के कलर फोटो और एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो था जिसमें वह अपना झंडा लिए हुए थे उसमें भी कलर ऑर्डर था हरा पीला और लाल और खिले कमल दिख रहे थे। वह फोटो मैंने ली है तब कंफर्म हुआ की सूचना प्रशासन विभाग के पोस्टर में गलत जानकारी दी गई है। इस तरह से इस सत्य को मैंने उजागर किया।

  1. फ्लैग कोड इंडिया में जो 9 साइज के झंडे दिखाए गए हैं जो मानक ध्वज कहलाते हैं। सबसे बड़ा ध्वज है वह 21X14 फीट का जो एक छोटे-मोटे प्लांट की साइज का होता है। फ्लैग कोड इंडिया में यह ध्वज अंकित है मगर 2010 तक यह फ्लैग फहराया कहीं नहीं गया क्योंकि उतने ऊंचे ध्वजदंड दंड भारत में कहीं नहीं थे मगर 2010 तक हाईमास्ट चलन में आ गये थे। 2010 में हमने इंदौर में गांधी प्रतिमा पर 21X14 फीट का ध्वज तिरंगा अभियान और अपना समूह के सामुहिक प्रयास से फहराया,यह एक इतिहास रचा गयाहै। इस तरह से हमारा सपना साकार हुआ। 26 जनवरी के प्रोग्राम के पहले कलेक्ट्रेट में जो मीटिंग होती है उसमें कलेक्टर से श्री राकेश श्रीवास्तव मैंने अपने इस विचार व सपने को जाहिर किया उन्होंने इसे स्वीकार किया प्रशासकीय और नगर पालिका का सहयोग मुझे मिला और मुझे भूमि उपलब्ध करा दी रीगल स्क्वायर पर जो गांधी प्रतिमा है वहां पर वह जगह दिला दी और इस तरह से हमने इस बड़े ध्वज को वहां पर लगाने का इतिहास रचा है। इस ध्वज को उस समय के वित्त मंत्री राघव जी ने 26 जनवरी को फहराया था।
  2. राष्ट्रध्वज का अवतरण दिवस (जन्मदिन) यानी कि हमने इसे संविधान सभा में 22 जुलाई 1947 को आजाद भारत के राष्ट्रध्वज के रूप में अंगीकार किया था। इस प्रकार यह दिन राष्ट्रध्वज तिरंगे का जन्मदिन हुआ।मैंने 2002 में प्रयास करके इंदौर की दो स्कूलों एमराल्ड हाइट्स और विद्यासागर स्कूल यहां के प्रिंसिपल व मालिक मेरे मित्र थे विशेष आग्रह करके 22 जुलाई को राष्ट्रध तिरंगा का जन्मदिन मनाने का आग्रह किया, मीडिया ने ध्यान दिया और इस तरह से पूरे भारत में अब लोग राष्ट्रध्वज तिरंगा का जन्मदिन मनाने लगे। तिरंगा का जन्मदिन मनाने के लिए आरती उतारें, केक काटे,वाहनों पर तिरंगा लगा कर रैली निकालें,एक दूसरे को बधाई कार्ड भेजें स्वतंत्रता दी गई,इस तरह शुरुआत हो गई है। इसे और भी वृही स्तर पर फैलने की जरूरत है।
  3. द्वितीय विश्व युद्ध 1943 के दौरान भारत का पहला भूखंड अंडमान निकोबार दीप समूह अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज और जापान की फौज ने मिलकर आज़ाद कराया था। अंडमान निकोबार द्वीप को जापान ने सुभाषचंद्र बोस को सौंप दिया वहां पर उन्होंने गांधी का चरखा ध्वज फहराया और अपने आजाद हिंद फौज से सलामी ली। अंडमान निकोबार दीप का नामकरण किया शाहीद और स्वराज द्वीप।

2018 के पहले तक इन द्वीपों का नाम अंडमान निकोबार था। मैं जिन स्कूलों में कार्यक्रम देने जाता था ,तो स्कूली बच्चों से इस संबंध में प्रधानमंत्री महोदय को पोस्टकार्ड लिखवाना शुरू किया कि इन द्वीपों को सुभाषचंद्र बोस द्वारा दिए नामों से पुकारा जाये। स्कूलों के लाखों बच्चों ने, कॉलेजों के विद्यार्थियों ने व एनसीसी के छात्र-छात्राओं ने करीब एक लाख पोस्टकार्ड लिखे परिणाम स्वरूप 30 दिसंबर 1918 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अंडमान निकोबार में जाकर सुभाषचंद्र बोस के द्वारा दिए हुए नाम का विधिवत लोकार्पण किया प्रकाशित किया गजट नोटिफिकेशन हुआ और साथ में अन्य दीपों का उन्होंने नाम किया तिरंगा अभियान और स्कूली बच्चों की यह पहली सफलता थी।

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