संस्थापक का परिचय और उत्प्रेरणा
मैं रवि अतरोलिया रिटायर डीएसपी हूं। मेरा जन्म ग्राम गढ़ाकोटा जिला सागर मध्यप्रदेश में हुआ था। स्कूल के प्रवेश के अनुसार मेरी जन्मतिथि 1 अप्रैल 1954 है बाद अपनी अनपढ़ लेकिन समझदार मां से विस्तृत रूप से बात की उन्होंने बताया कि वे पूनो यानि पूर्णिमा का व्रत रखे थीं की रात्रि 4:30 बजे करीब उस रात मुस्लिम त्यौहार शबेबारात थी। फकीर रोज़दारों को जगाने आवाज़ देते निकला था तभी मेरा जन्म हुआ। जब मैंने कुंडली विशेषज्ञ जो राजगढ़ दरबार के राजपुरोहित थे उनसे जब यह बातें बताईं तो उन्होंने गणना कर बताया कि 1954 में पूर्णिमा और शबेबारात 19 अप्रैल 1954 का है। पिताजी का नाम श्री अर्जुन सिंह था और मेरी मां का नाम श्रीमती श्यामा बाई था जिनका स्वर्गवास क्रमशः 19 दिसंबर 1999 व 12 दिसंबर 2016 हुआ। मेरी शिक्षा एम.काम., एमए (सोशियोलॉजी) व एलएलबी है। वर्ष 1976 में मैं मध्यप्रदेश पुलिस सर्विस में सब इंस्पेक्टर के पद पदस्थ हुआ, प्रमोशन पाते पाते 31 मार्च 2014 में सेवा निवृत्त हुआ I तिरंगा अभियान की आवश्यकता क्यों? सन् 1995 में नवीन जिंदल ने सिंगल बैंच से सम्मान के साथ तिरंगा मकान व प्रतिष्ठान पर लगाने का केस जीता और सरकार उसे फुल बैंच में ले गई। इंदौर में मध्य भारत हिंदी साहित्य समीति में सांसद सुमित्रा महाजन "ताई" ने समसामयिक अध्ययन केंद्र की स्थापना की जिसका फाउंडर मेंम्बर्स में से एक मैं भी था। ताई समसामयिक विषयों पर वक्ता प्रदाय कराती थीं हम लोग कार्यरूप में परिणित करते थे। 1995 में ही नवीन जिंदल का तिरंगा पर व्याख्यान रखा गया मुझे संचालन का भार सौंपा संचालन के दौरान जिंदल जी का तिरंगा ज्ञान देख मुझे अपना व आप सबका बचपन याद आया जो आज की पीढ़ी कै साथ वही हो रहा है।
राष्ट्रीय पर्वों 15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में हमें बुला कर पंक्तिबद्ध बैठ दिया जाता, ध्वजारोहण होता हम तालियां बजाते, मंच से कोई नेता बड़ी बड़ी बातें करता हमें ज़रा भी समझ नहीं आता पर किनारे में खड़े गुरु जी द्वारा छुपा कर किए इशारे पर भाषण के बीच बीच में हम तालियां बजाते थे। धैर्य पूर्वक इसलिए बैठे रहते कि कार्यक्रम के बाद लड्डू मिलेगा। हमें तब व आज तक की पीढ़ी को किसी शिक्षक ने नहीं बताया कि जो तिरंगा फहराया गया है वह क्या है, इसका सम्मान क्यों करना चाहिए, क्यों अपने प्राण तक न्यौछावर कर देना चाहिए?
20 साल की पुलिस की नौकरी के बाद भी तिरंगा के बारे में जितनी जानकारी नवीन जिंदल को मुझे नहीं थी मुझे खुद पर शर्म आ रही थी। उसके बाद तय किया कि जो तिरंगा की जानकारी मुझे नहीं मिली मैं मौजूदा पीढ़ी को स्कूलों कालेजों में जाकर दूंगा। यहां से तिरंगा अभियान शुरू हुआ।

उद्देश्य
- सभी राष्ट्रध्वज की सही जानकारी हो जाये।
- यह राष्ट्रध्वज वर्तमान स्वरूप में कैसे आया?
- राष्ट्रध्वज का ससम्मान विभिन्न अवसरों पर विभिन्न परिस्थितियों में ध्वजारोहण कैसे करें?
- राष्ट्रध्वज फहराने योग्य ना रहे तब उसका वैधानिक नष्टीकरण कैसे किया जाये?
- राष्ट्रध्वज कितने प्रकार (साइज) के हैं?
- संविधान में दिए दायित्व अनुसार स्वयं सम्मान करें व करायें।
- राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत, राष्ट्रचिंह का ज्ञान, इनका अपना अपराध है।
आज की पीढ़ी इससे जानकारी प्राप्त कर बढ़ते भारत विकासशील भारत में अपना योगदान शैक्षणिक योग्यता के साथ साथ देशभक्ति के रंग में भी रंग जाये और समय आने पर तिरंगा के लिए देश पर प्राण न्यौछावर करने के जज़्बे से भरपूर रहे।